Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2023

हार्मोनल परिवर्तन के कारण कम उम्र में लड़कियों में हो रहा शारीरिक परिवर्तन

हार्मोनल परिवर्तन के कारण कम उम्र में लड़कियों में हो रहा शारीरिक परिवर्तन प्रदुषण और जंक फूड घटा रहा मुश्किल भरे दिन की उम्र लड़कियों में समय से पहले हार्मोनल चेंज के मामले बढ़ रहे हैं। शारीरिक बदलाव के लिए औसत उम्र 13 से 14 साल मानी जाती है, अब 8 से 11-12 साल में वजन बढ़ने जैसी समस्या आ रही है। कम उम्र में मुश्किल भरे दिनों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो समस्या प्रदुषण और जंक फूड के अत्यधिक सेवन से बढ़ रही है। शरीर में हार्मोनल परिवर्तन, किसी प्रकार की सिस्ट और ट्यूमर जैसे कारण सामने आ रहे हैं। इनके लिए मुख्य कारण निम्न हैं- लड़कियों में हार्मोनल परिवर्तन से पीरियड जल्दी आते हैं। आनुवंशिक समस्या इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। तनाव से भी हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। आयरन तथा विटामिन-डी जैसे पोषण तत्वों की कमी भी हार्मोनल परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदुषण के सम्पर्क में रहने पर भी ये समस्या होती है। शरीर में कही भी सिस्ट या ट्यूमर होने पर भी ये सम्भव है। अगर 8 साल से 12 साल की उम्र के बीच किसी बालिका के शरीर में तेजी से परिवर्तन हो तो मुश्

Liquid helium as a Boson system in Hindi | बोसॉन निकाय के रूप में द्रव हीलियम | Statistical mechanics

बोसॉन निकाय के रूप में द्रव हीलियम साधारण हीलियम में हीलियम के समस्थानिक 2 He 4 के लगभग सभी उदासीन परमाणु होते हैं। चूंकि इन परमाणुओं का कुल कोणीय संवेग शून्य होता है, इसलिए ये बोस-आइन्सटीन सांख्यिकी का पालन करते हैं। निम्न ताप पर हीलियम के गुणधर्म वायुमण्डलीय दाब पर He ↑,  4.3K ताप पर (क्रांतिक ताप = 5.2K) अत्यन्त कम घनत्व के द्रव (ρ = 0.124 g/cm 3 ) में परिवर्तित हो जाती है। इसे लगभग 0.82K ताप तक और अधिक ठण्डा करने पर भी यह जमती (freeze) नहीं है तथा परम शून्य ताप (absolute zero temperature) तक भी यह द्रव हीलियम की अवस्था में बनी रहती है। अतः ठोस हीलियम प्राप्त नहीं होती है, जब तक कि इसका बाह्य दाब कम से कम 23 वायुमण्डलीय नहीं कर दिया जाता है। द्रव हीलियम का प्रावस्था संक्रमण द्रव प्रावस्था में He 4 के लिए एक अन्य संक्रमण प्रावस्था (λ-संक्रमण) होती है, जो द्रव अवस्था को दो प्रावस्थाओं HeI तथा HeII में विभाजित करती है। जब हीलियम लगभग 2.2K ताप पर द्रवित होती है, तो इसका घनत्व अचानक अधिकतम हो जाता है, तत्पश्चात् कुछ घट जाता है। हीलियम का

Jacobi-Poisson theorem | Poisson’s second theorem | Classical mechanics

Jacobi-Poisson theorem Poisson’s second theorem If u and v are any two constants of motion of any given system, then their Poisson bracket [ u , v ] are also a constant of motion. If u is a constants of motion, then [ u , H ] + ∂ u /∂t = 0 ⇒ [ u ,  H ] = - ∂ u /∂t. Given u and v are constant of motion               We have to prove [u, v] is also a constant of motion                     Proof By Jacobi identity This is mathematical form of  Jacobi-Poisson’s theorem or Poisson's second theorem . According to statement of Jacobi-Poisson theorem if  u and v are any two constants of motion of any given system, then their Poisson bracket [ u , v ] are also a constant of motion. To know about Jacobi-Poisson theorem of Poisson second theorem  click on the link for English  and  click on the link for Hindi

Hamilton’s equation of motion in PB formulation | Poisson’s theorem | Classical mechanics

Hamilton’s equation of motion in Poisson Bracket formulation Poisson’s theorem From Hamilton’s equation of motion If u is a constant of motion, then du/dt = 0              If u does not explicitly depend on time, then ∂u/∂t = 0              This is Poisson theorem in classical mechanics To know about Hamilton’s equation of motion in Poisson Bracekt formulation and Poisson theorem in classical mechanics click on the link for English  and  click on the link for Hindi

Elementary Poisson brackets | Classical mechanics

Elementary Poisson brackets The Poisson brackets constructed out of the canonical coordinates themselves (co-ordinate and momenta) are called elementary Poisson brackets. Properties of Poisson bracket (1)         [q i , q j ] = [p i , p j ] = 0   or [q i , q j ] = 0 Similarly [p i , p j ] = 0 Thus [q i , q j ] = [p i , p j ] = 0 (2)         [q i , p j ] = – [p j , q i ] = δ ij (3) (4) To know about Poisson bracket and its identities please  click on the link for English  and  click on the link for Hindi

Poisson brackets | Identities of Poisson brackets | Classical Mechanics

Poisson brackets and its identities Poisson brackets A Poisson bracket is a special kind of relation between a pair of dynamical variables of any holonomic system, which is found to remain invariant under any canonical transformation. They are used to construct new integrals of motion from the known integrals. They are classical analogues of commutation relation between operators in quantum mechanics. If u (p, q, t) and v (p, q, t) are two dynamical variables, then the Poisson bracket of these quantities with respect to canonical variables (p, q) is                     Identities of Poisson brackets [u, v] = – [v, u] Thus the Poisson bracket of any two dynamical variables is anti-commutative . If u = v, then                     [ u , u ] ( p , q ) = 0 [ u ,  u ] = [ v ,  v ] = 0 If c is any constant, then [cu, v] = [u, cv] = c [u, v] Similarly [u, cv] = c [u, v] ∴  [cu, v] = [u, cv] = c [u, v] The Poisson

Motion of particle in a parabolic potential well in Hindi | परवलयिक विभव कूप में कण की गति | H-2 | Oscillations and Waves

परवलयिक विभव कूप में कण की गति सरल आवर्त गति परवलयिक विभव कूप के लिए U = 1/2 kx 2 ;    जहां k = बल नियतांक कण पर कार्यरत प्रत्यानयन बल F = – ∂U/∂x = –kx न्यूटन का द्वितीय नियम F = m(d 2 x/dt 2 ) यह सरल आवर्त गति (S.H.M.) का समीकरण है। कोणीय वेग ω 0 = √(k/m) आवर्त काल सरल आवर्त गति का हल वेग माध्य स्थिति पर, x = 0, v = v max = ω 0 a बाह्य स्थिति पर, x = ± a, v = v min = 0 स्थिति यहां θ कण की प्रारम्भिक कला है। सरल आवर्त गति का व्यापक हल To know more about this lecture please visit on  https://youtu.be/XfUH_JtpKG0

Motion of particle in a parabolic potential well | Simple harmonic motion | L-2 | Oscillations and waves

Motion of particle in a parabolic potential well Simple harmonic motion For parabolic potential well U = 1/2 kx 2 ;    k = force constant Restoring force acting on particle F = – ∂U/∂x = –kx Newton’s second law F = m(d 2 x/dt 2 ) This is equation of simple harmonic motion (S.H.M.) Angular velocity ω 0 = √(k/m) Time period Solution of simple harmonic motion Velocity At mean position, x = 0, v = v max = ω 0 a At extreme position, x = ± a, v = v min = 0 Position Here θ is initial phase of particle General solution of S.H.M. To know more about this lecture please visit on  https://youtu.be/JCorYuKaB58

Real Analysis | Mathematics | BSc

Real Analysis Real Analysis and Theory of Convergence Authors: Dr. Vimal Saraswat, Dr. Anil Kumar Menaria, Dr. Gajendrapal Singh Rathore ISBN : 978-81-7906-338-5 Price: Rs. 395.00 Publisher: Himanshu Publications, Hiran Magri Udaipur; Himanshu Publications Prakash House, Ansari Road, New Delhi E-mail :  info@sacademy.co.in Phone:  +91 9664392614 To buy this book click on the link Real Analysis by Saraswat This book includes the following topics  Real Number System Introduction Field axiom Uniqueness property Cancellation law of addition and multiplication Order axiom and ordered field Positive class Boundedness Upper bound, Supremum, Lower bound, Infimum, Bounded set Greatest and least element Completeness axiom Complete ordered field Archimedean property of real numbers Archimedean ordered field Betweenness theorem Dedekind's completeness axiom Irrational numbers Rational d

Real Analysis in Hindi | वास्तविक विश्लेषण | Mathematics | BSc

वास्तविक विश्लेषण (Real Analysis) वास्तविक विश्लेषण तथा अभिसरण सिद्धान्त (Real Analysis and Theory of Convergence) लेखक: डॉ. विमल सारस्वत, डॉ. अनिल कुमार मेनारिया, डॉ. गजेन्द्रपाल सिंह राठौड़ ISBN : 978-81-7906-935-6 Price: Rs. 250.00 प्रकाशक: हिमांशु पब्लिकेशन्स, हिरण मगरी उदयपुर; हिमांशु पब्लिकेशन् प्रकाश हाउस, अंसारी रोड, नई दिल्ली E-mail :  info@sacademy.co.in Phone:  +91 9664392614 To buy this book click on the link Real Analysis in Hindi by Saraswat This book includes the following topics  वास्तविक संख्या निकाय (Real Number System) परिचय (Introduction) क्षेत्र अभिगृहीत (Field axiom) अद्वितीयता गुणधर्म (Uniqueness property) योग तथा गुणन के निरसन नियम (Cancellation law of addition and multiplication) क्रम अभिगृहित तथा क्रमित क्षेत्र (Order axiom and ordered field) धनात्मक वर्ग (Positive class) परिबद्धता (Boundedness) उपरि परिबद्ध (Upper bound) उच्चक (Supremum) निम्न परिबद्ध (Lower bound) निम्नक (Infimum) प

Differential equations in Hindi | अवकल समीकरण | Mathematics | BSc

अवकल समीकरण (Differential equations) साधारण अवकल समीकरण तथा आंशिक अवकल समीकरण (Ordinary Differential Equation and Partial Differential Equation) लेखक: डॉ. विमल सारस्वत, डॉ. अनिल कुमार मेनारिया, डॉ. गजेन्द्रपाल सिंह राठौड़ ISBN : 978-81-7906-969-1 Price: Rs. 385.00 प्रकाशक: हिमांशु पब्लिकेशन्स, हिरण मगरी उदयपुर; हिमांशु पब्लिकेशन् प्रकाश हाउस, अंसारी रोड, नई दिल्ली E-mail :  info@sacademy.co.in Phone:  +91 9664392614 To buy this book click on the link Differential Equations by Saraswat This book includes the following topics  यथार्थ एवं विशिष्ट रूप वाली अवकल समीकरण (Exact Differential Equations and Equations of Special Forms) परिचय (Introduction) nवीं कोटि के यथार्थ रैखिक अवकल समीकरण (Exact linear differential equation of nth order) nवीं कोटि के रैखिक अवकल समीकरण की यथार्थता का प्रतिबन्ध (Condition of exactness of a linear differential equation of order n) समाकलन गुणांक अरैखिक अवकल समीकरण की यथार्थता (Exactness of non-linear dif

Half wave rectifier in Hindi | अर्द्ध तरंग दिष्टकारी

अर्द्ध तरंग दिष्टकारी दिष्टकारी वह युक्ति जो प्रत्यावर्ती वोल्टता (या धारा) को दिष्ट वोल्टता (या धारा) में परिवर्तित करने के लिए प्रयुक्त होती है, या वह युक्ति जो दिष्टकरण की प्रक्रिया के लिए प्रयुक्त होती है, दिष्टकारी कहलाती है। वह प्रक्रिया जिससे प्रत्यावर्ती वोल्टता (या धारा) को दिष्ट वोल्टता (या धारा) में परिवर्तित किया जाता है, दिष्टकरण कहलाती है। दिष्टकारी का सिद्धान्त डायोड अग्र बायस में अल्प प्रतिरोध प्रदान करता है, जबकि पश्च बायस में इसका प्रतिरोध अधिक होता है। इसलिए डायोड जब उत्क्रम बायस में होता है, तो परिपथ में से एक अत्यन्त अल्प मान की धारा या प्रायोगिक रूप में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है। इस सिद्धान्त का प्रयोग दिष्टकारी की कार्य प्रणाली में किया जाता है। अर्द्ध तरंग दिष्टकारी (HWR) वह दिष्टकारी जो केवल आधी निवेशी प्रत्यावर्ती तरंग को निर्गत दिष्ट तरंग में परिवर्तित करता है तथा शेष आधी तरंग अनउपयोगी होती है, अर्द्ध तरंग दिष्टकारी कहलाता है। इस दिष्टकारी में ट्र्र्रांसफॉर्मर की प्राथमिक कुण्डली पर प्रत्यावर्ती

Adesterra