हार्मोनल परिवर्तन के कारण कम उम्र में लड़कियों में हो रहा शारीरिक परिवर्तन प्रदुषण और जंक फूड घटा रहा मुश्किल भरे दिन की उम्र लड़कियों में समय से पहले हार्मोनल चेंज के मामले बढ़ रहे हैं। शारीरिक बदलाव के लिए औसत उम्र 13 से 14 साल मानी जाती है, अब 8 से 11-12 साल में वजन बढ़ने जैसी समस्या आ रही है। कम उम्र में मुश्किल भरे दिनों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो समस्या प्रदुषण और जंक फूड के अत्यधिक सेवन से बढ़ रही है। शरीर में हार्मोनल परिवर्तन, किसी प्रकार की सिस्ट और ट्यूमर जैसे कारण सामने आ रहे हैं। इनके लिए मुख्य कारण निम्न हैं- लड़कियों में हार्मोनल परिवर्तन से पीरियड जल्दी आते हैं। आनुवंशिक समस्या इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। तनाव से भी हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। आयरन तथा विटामिन-डी जैसे पोषण तत्वों की कमी भी हार्मोनल परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदुषण के सम्पर्क में रहने पर भी ये समस्या होती है। शरीर में कही भी सिस्ट या ट्यूमर होने पर भी ये सम्भव है। अगर 8 साल से 12 साल की उम्र के बीच किसी बालिका के शरीर में तेजी से परिवर्तन हो तो मुश्
जीभ के रंग एवं आकार से चलेगा पता बीमारियों का अब जीभ के रंग एवं आकार का विश्लेषण करके मधुमेह तथा स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों की भविष्यवाणी की जा सकती है। इसके लिए ऑस्ट्रेलिया की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी तथा यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर एक कंम्प्यूटर एल्गोरिथम विकसित किया है। इस एल्गोरिथम की सहायता से 98 प्रतिशत यथार्थता से बीमारियों की भविष्यवाणी की जा सकती है। मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अली अज-नाजी ने बताया कि नई इमेजिंग तकनीक से मधुमेह, यकृत, स्ट्रोक, एनीमिया, अस्थमा, कोविड एवं पेट सम्बन्धी बीमारियों का पता लगाकर इनका उपचार किया जा सकता है। शोध के अनुसार व्यक्ति के बीमार होने पर जीभ का रंग, आकार एवं मोटाई बदल जाती है, इसीलिए जब भी कोई बीमार व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है, तो डॉक्टर उसे जीभ दिखाने को कहता है। मधुमेह रोग वाले लोगों की जीभ पीली होती है। कैंसर ग्रस्त रोगी की जीभ का रंग बैंगनी होता है। साथ ही उनकी जीभ पर मोटी चिकनी परत होती है। इसी प्रकार स्ट्रोक के रोगियों की जीभ असामान्य रूप से लाल रंग की होती है। सफेद जीभ एनीमिया को दर्शाती है। नीली या बैंगनी रंग की