Skip to main content

महाराणा प्रताप ट्रेल सज्जनगढ़ उदयपुर

महाराणा प्रताप ट्रेल सज्जनगढ़ उदयपुर में इको ट्रेल 30 नवम्बर को राजस्थान वन विभाग उदयपुर डिविजन तथा WWF-India उदयपुर डिविजन के सानिध्य में महाराणा प्रताप ट्रेल सज्जनगढ़ उदयपुर में इको ट्रेल की गई, जिसमें WWF-India के स्टेट काॅर्डिनेटर श्रीमान अरूण सोनी तथा वन विभाग कीे ओर से डाॅ. सतीश कुमार शर्मा, सेवानिवृत्त अधिकारी मौजूद थे। मुझे भी इस इको ट्रेल में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ, जो गोरीला व्यू पाॅइंट से बड़ी-लेक व्यू पाॅइंट तक की गई इसमें मुझे विज्ञान की एक नई शाखा के बारे में पता चला, जिसे टट्टी विज्ञान कहा जाता है। सुनने में आपको थोड़ा अजीब लगेगा, मुझे भी सुनकर हैरानी हुई, परन्तु वास्तव में एक ऐसा भी विज्ञान है, जिसके बारे में डाॅ. सतीश शर्मा ने बड़े ही विस्तार पूर्वक बताया कि किस प्रकार वनों में जानवरों की टट्टी देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि यहां कौनसा जानवर आया था। जानवरों की टट्टी कितनी पुरानी है, वह गीली है या सूखी है। इसी के आधार पर उस विशेष जंगल में कौन-कौनसे जानवर विचरण करते हैं, उसके बारे में वन विज्ञान के कर्मचारी पता लगा लेते हैं। जानवरों की टट्टी का विश्लेषण करके यह पता लगा...

भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय कन्या इकाई की छात्राओं ने किया सौर वैधशाला का भ्रमण

भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय कन्या इकाई की छात्राओं ने किया सौर वैधशाला का भ्रमण

उदयपुर 13 अगस्त: भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय कन्या इकाई की विज्ञान वर्ग की छात्राओं ने भौतिकी विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. विमल सारस्वत के नेतृत्व में उदयपुर सौर वैधशाला का भ्रमण किया। सौर वैधशाला द्वारा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के उपलक्ष में इस वर्ष पूरा सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसका शुभारम्भ सोमवार 12 अगस्त को किया गया। इस भ्रमण में विद्यार्थियों ने सौर वैधशाला में सूर्य पर किए जाने वाले अध्ययन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की। भ्रमण के दौरान विषय विशेषज्ञ डाॅ. अंकाला राजा बयन्ना ने उदयपुर सौर वैधशाला को पानी के मध्य बनाए जाने की उपयोगिता के बारे में बताया। प्रो. शिबू मैथ्यू ने टेलिस्कोप की कार्य प्रणाली तथा इससे किस प्रकार डेटा प्राप्त किया जाता है, यह किस प्रकार सदैव सूर्य की ओर केन्द्रित रहता है, उसकी सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की। डाॅ. रोशन तथा डाॅ. अभिषेक ने सूर्य पर प्राप्त होने वाले धब्बों (sunspot) का क्या प्रभाव पड़ता है, सोलर चक्र (solar cycle) क्या है, कितने समय बाद इसकी पुनरावृत्ति होती है, उसके बारे में विद्यार्थियों को पोस्टर के माध्यम से समझाया। डाॅ. गिरजेश मेहता ने लेक्चर के माध्यम से चंद्रयान-3 मिशन के सफल प्रक्षेपण, विक्रम लैण्डर की साॅफ्ट लैंडिंग, आदित्य एल-1 मिशन क्या है, लैग्रान्ज बिन्दु पर इसके स्थापित करने के पीछे क्या उद्देश्य रहा है, की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की। कुशाग्र उपाध्याय ने सूर्य के अध्ययन के लिए प्रयुक्त विभिन्न रिसिवर किस प्रकार उपयोगी हैं, किस रिसिवर का उपयोग कितने हर्ट्ज की आवृत्ति के मापन में होता है। इन सबके बारे में विस्तारपूर्वक बताया। डाॅ. ब्रजेश कुमार ने ई-कैलिस्टो सोलर स्पेक्ट्रोमीटर, वैश्विक दोलन नेटवर्क समूह अर्थात् गोंग के बारे में बताया कि किस प्रकार गोंग में 24 x 7 प्रेक्षण लिए जाते हैं तथा गोंग में सूर्यास्त क्यों नही होता है, के बारे जानकारी प्रदान की। 

इस अवसर पर प्रो. नंदिता श्रीवास्तव, डाॅ. भुवन जोशी तथा डाॅ. रमितेन्द्रनाथ भट्टाचार्य भी उपस्थित थे, जिनसे विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासा शान्त करने के लिए सूर्य के अध्ययन से सम्बन्धित प्रश्न पूछे। इस भ्रमण में भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के 20 विद्यार्थियों ने भाग लिया। 






फतेह सागर के मध्य उदयपुर सौर वैधशाला  की दूरदर्शी की कार्य प्रणाली के लिए गए विद्यार्थियों का समूह






उदयपुर सौर वैधशाला में पोस्टर के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हुए विद्यार्थीस  


महाविद्यालय अधिष्ठाता डाॅ. शिल्पा राठौड़ ने इस प्रकार के अकादमिक भ्रमण को छात्र हित में बताया। विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत, भूपाल नोबल्स संस्थान के मंत्री डाॅ. महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ ने इस प्रकार के आयोजन के लिए संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि छात्राओं को सैद्धांतिक ज्ञान के साथ व्यावहारिक अनुभवों से भी अवगत होना अत्यंत आवश्यक है।

To follow our blog click here

For similar post click here


Our other websites

For Education

For Placements 

For Bhakti 

For Recipes 

Our Application



Our YouTube channels

Sacademy

Atharavpur


Keywords:

solar observatory,solar observatory udaipur,solar observatory fatehsagar udaipur,solar observatory fatehsagar lake udaipur,udaipur solar observatory,solar observatory fatehsagar,lake fatehsagar solar observatory,udaipur,solar,solar observatory conducts research,udaipur latest news,udaipur latest,latest news udaipur,observatory,udaipur updates,solar dynamics observatory,high altitude observatory,solar dynamics observatory (satellite)



Comments

Popular posts from this blog

Electric field due to circular loop of charge | Electromagnetics

Electric field due to circular loop of charge Electric field The space around a charged particle in which another charge experience a force is known as electric field. The source of electric field is either a charge or a time varying magnetic field. If the value of electric field does not change with time, then it will be uniform electric field, otherwise it will be non-uniform electric field. Electric field due to circular loop of charge If λ is linear charge density, then the charge on d l dq = λ d l      ⇒     dq = (q / 2πa) d l Electric field at P due to charge dq Special cases When P lies at the centre of the loop i. e., r = 0, then E = 0 When P lies very far from the centre of the loop i. e., r >> a, then E = kq / r 2 In this case circular loop behaves as a point charge. To know more about this topic please click on the link  https://youtu.be/54MIe0Ow43w   or...

गैसों का अणुगति सिद्धान्त तथा आदर्श गैस का दाब | Kinetic theory of gases and Pressure of an ideal gas in Hindi | Thermodynamics

गैसों का अणुगति सिद्धान्त तथा आदर्श गैस का दाब गैसों के गतिज सिद्धान्त की अभिधारणाएं एक गैस अत्यन्त छोटे, अदृश्य एवं पूर्णतः प्रत्यास्थ कणों से मिलकर बनी होती है, जो अणु   कहलाते हैं। एक शुद्ध गैस के सभी अणु समदृश होते हैं तथा ये सभी सम्भव दिशाओं में सभी सम्भव वेग से सतत्‌ रूप से गति करते रहते हैं। गैस जिस पात्र में भरी जाती है, वह उस पात्र की दीवारों पर दाब लगाती है। गैस के अणु किन्हीं दो क्रमागत टक्करों के मध्य सीधी रेखा में गति करते हैं। गैस के अणुओं का आकार किन्हीं दो क्रमागत टक्करों के मध्य तय की गई दूरी की तुलना में अनन्त सूक्ष्म होता है। ये टक्करें तात्क्षणिक होती हैं तथा टक्करों में गतिज ऊर्जा की कोई हानि नहीं होती है। अणु एक दूसरे पर कोई बल नहीं लगाते हैं। वे एक दूसरे पर बल केवल टकराने के दौरान लगाते हैं। इनकी सम्पूर्ण आणविक ऊर्जा, गतिज ऊर्जा होती है। गैस के अणुओं का कुल आयतन, उस पात्र के आयतन, जिसमें यह भरी है कि तुलना में नगण्य होता है। गैस में अन्तर-आणविक दूरी बहुत अधिक होती है, जिससे कि गैस के अणु उसके लिए उपलब्ध सम्पूर्ण स्थान में मुक...

MLSU Third year Physics Syllabus

M.L. SUKHADIA UNIVERSITY, UDAIPUR B.Sc. III Year Physics PAPER-I Quantum mechanics, and Atomic and Molecular Physics UNIT-I Introductory Schrodinger theory: Rise and fall of Plank-Bohr quantum theory, Duality of radiation and matter, de Broglie’s hypothesis, justification for the relation , experimental confirmation. Phase and group velocities of a wave: Formation of a wave packet, illustrations. Uncertainty principle relating to position and momentum, relating to energy and time, application of complementarity principle, photon interpretation of two slit interference, Einstein-de-Broglie relations as a link between particle and wave properties, general equation of wave propagation, propagation of matter waves, time dependent and time independent Schrodinger equations, physical meaning of ψ, conditions to be satisfied by Schrodinger equation as an operator equation. Postulatery approach to wave mechanics, operators, observable and measurements. Operators: Eig...