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Showing posts from March, 2022

चार महीने का बच्चा कैसे बना अरब़पति

चार महीने का बच्चा कैसे बना अरब़पति? जन्म के सिर्फ चार माह बाद यदि कोई बच्चा अरबपति बन जाए तो इसे उसकी किस्मत ही कहेंगे। भारत के एकाग्रह रोहन मूर्ति नाम के बच्चे की किस्मत कुछ इसी प्रकार चमकी है। देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कम्पनी इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने सोमवार अपने चार महीने के पोते एकाग्रह मूर्ति को 240 करोड़ रूपए के शेयरों की हिस्सेदारी का तोहफा देकर उसे शायद देश का सबसे कम उम्र का अरबपति बना दिया है। BSE की फाइलिंग के अनुसार इंफोसिस में अब एकाग्रह रोहन की 15 लाख शेयरों की हिस्सेदारी हो गई है। इसका मतलब अब एकाग्रह रोहन इंफोसिस का 0.04% का हिस्सेदार है। शेयरों के स्थानान्तरण के बाद नारायण मूर्ति के पास कम्पनी के कुल शेयरों का 0.36% हिस्सा बचा है। जिस समय नारायण मूर्ति द्वारा अपने पोते को शेयर देने की खबर बाई उस समय इंफोसिस के शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही थी। एकाग्रह रोहन, नारायण मूर्ति तथा सुधा मूर्ति के बेट रोहन मूर्ति और उनकी पत्नि अर्पणा कृष्णन का बेटा है। आपको यह पता होगा कि नोरायण मूर्ति ने अपनी पत्नि सुधा मूर्ति से 10 हजार रूपए उधार लेकर 1981 में इंफोसिस क

अपभ्रष्टता | Degeneracy in Hindi

 अपभ्रष्टता वे सभी ऊर्जा स्तर जिनके आइगन मान समान हों, परन्तु आइगन फलन भिन्न हों, अपभ्रष्ट ऊर्जा स्तर कहलाते हैं। ऊर्जा स्तरों का यह गुण अपभ्रष्टता कहलाता है। अपभ्रष्टता का मुख्य कारण ऊर्जा स्तरों के आइगन फलनों का भिन्न—भिन्न होना है। समान ऊर्जाओं वाले ऊर्जा स्तर के आइगन फलन के भिन्न—भिन्न होने का मुख्य कारण उनकी क्वांटम संख्याओं का भिन्न—भिन्न होना है। ये भिन्न—भिन्न क्वांटम संख्याएं समान ऊर्जाओं वाले अलग—अलग तरंग फलनों को दर्शाती हैं। समान ऊर्जा वाले भिन्न—भिन्न तरंग फलनों या आइगन फलनों की संख्या उसकी अपभ्रष्टता की कोटि कहलाती है।

थॉमसन की परवलय विधि | Thomson’s parabola method in Hindi | EMFT and Relativity | Motion of charged particles in E and B fields

थॉमसन की परवलय विधि धन किरण विश्लेषण यह विधि आवेश तथा द्रव्यमान का अनुपात ज्ञात करने में प्रयोग में लाई जाती है। थॉमसन परवलय विधि T = निर्वहन नली है। इस नली में गैस का दाब 0.01 mm पारे के दाब के बराबर रखा जाता है। E = केशिका नली C = कैथोड़ है, जिसमें अत्यन्त सूक्ष्म छिद्र होते हैं। W = पानी का जेकेट है, जिसे कैथोड़ को ठण्डा करने में प्रयोग में लाया जाता है। A तथा B धातु की दो प्लेटें हैं, इन प्लेटों के मध्य विद्युत क्षेत्र आरोपित किया जाता है। N तथा S शक्तिशाली चुम्बक के उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव हैं। K = अत्यधिक निर्वातित कैमरा P = फोटोग्राफिक प्लेट R = तरल वायु जाल है, इसका उपयोग K में दाब का मान अत्यन्त कम रखने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। कार्य प्रणाली गैस की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गैस की एक स्थिर वाष्प को E से गुजरने दिया जाता है तथा नली में से प्रवाहित होने के पश्चात्‌ इसे M द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। T में उत्पन्न धनायन C की ओर प्रवाहित होते हैं। वे आयन, जो C पर अक्षीय रूप से पहुंचते हैं, इसके सूक्ष्म छिद्र द्वारा सं

प्रतिबिम्ब रचना तथा न्यूटन सूत्र | Formation of image and Newton’s formula in Hindi | Optics | General theory of image formation

प्रतिबिम्ब रचना तथा न्यूटन सूत्र प्रधान बिन्दुओं द्वारा प्रतिबिम्ब रचना प्रधान बिन्दुओं द्वारा प्रतिबिम्ब रचना वह किरण जो मुख्य अक्ष के समान्तर होती है, लेन्स निकाय से अपवर्तन के पश्चात्‌ फोकस  F 2   पर मिलती है। वह किरण जो प्रारम्भ में  F 1   पर आपतित होती है, लेन्स निकाय से अपवर्तन के पश्चात्‌ मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है। प्रकाश किरण जो प्रथम मुख्य तल पर किसी भी ऊंचाई पर मिलती है वह लेन्स निकाय से अपवर्तन के पश्चात्‌ द्वितीय मुख्य तल से उसी ऊंचाई पर तथा प्रकाशीय निकाय की उसी दिशा से निकलती है। एक प्रकाश किरण जो निर्नति बिन्दु  N 1  पर आपतित होती है वह द्वितीय निर्नति बिन्दु  N 2  से पारगमित होती है तथा प्रथम किरण के समान्तर होती है। न्यूटन सूत्र न्यूटन सूत्र ΔABF 1   तथा  ΔF 1 K 1 H 1   से                                                       चूंकि  A 1 B 1 = - y 2 , AB = y 1 , H 1 F 1 = - f 1 ,  तथा  BF 1 = - x 1                                                  ....(1) ΔA 1 B 1 F 2   तथा  ΔM 2 H 2 F 2   से            

X-किरण स्पेक्ट्रम | X-ray spectrum in Hindi | Atomic and Molecular physics

X-किरण स्पेक्ट्रम X-किरण X-किरण की खोज जर्मन भौतिक वैज्ञानिक वेलमन कोन्राड रोन्जन ने 1895 में कैथोड़ किरणों के गुणधर्मों के अध्ययन के दौरान की। ये किरणें वास्तव में अल्प तरंगदैर्ध्यों की विद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं जिनकी परास 10 Å से 0.5 Å तक होती हैं। उच्च तरंगदैर्ध्य वाली X-किरणें, मृदु X-किरणें तथा निम्न तरंगदैर्ध्य वाली X-किरणें, कठोर X-किरणें कहलाती हैं। X-किरणों के गुणधर्म चूंकि X-किरणें विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा विचलित नहीं होती हैं, इसलिए इनमें कोई आवेशित कण नहीं होता है। X-किरणें अल्प तरंगदैर्ध्य की विद्युतचुम्बकीय विकिरण होती है। X-किरणें प्रकाश की भांति फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती हैं, परन्तु इनका प्रभाव प्रकाश की तुलना में अधिक तीव्र होता है। X-किरणें प्रकाश के वेग से सीधी रेखा में गति करती हैं। ये किरणें कई धातुओं पर प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती हैं। X-किरणें जिस गैस में से गुजरती हैं, उसे आयनित कर देती हैं। X-किरणों की भेदन क्षमता अधिक होती है तथा ये किसी भी ठोस में से गुजर सकती हैं। ये प्रकाश

MCT | MOS- controlled thyristor | Power electronics

MOS Controlled thyristor (MCT) It is basically a thyristor with two MOSFETs built into the gate structure. One MOSFET is used for turning on the MCT and the other for turning off the device. MCT is a high frequency, high power, low-conducting drop switching device. A practical MCT consists of thousands of these basic cells connected in parallel just like a power MOSFET. This is done to achieve a high current carrying capacity of the device. Basic structure of MCT The equivalent circuit of MCT consists of one on-FET, one off-FET and two transistors. The on-FET is a p-channel MOSFET and off-FET is an n-channel MOSFET. An arrow towards the gate terminal indicates n-channel MOSFET and the arrow away form the gate terminal is the p-channel MOSFET. The two transistor in the equivalent circuit represents that there is regenerative feedback in the MCT just same as in an ordinary thyristor. (a) Equivalent circuit of MCT and (b) Circuit symbol of

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