हार्मोनल परिवर्तन के कारण कम उम्र में लड़कियों में हो रहा शारीरिक परिवर्तन प्रदुषण और जंक फूड घटा रहा मुश्किल भरे दिन की उम्र लड़कियों में समय से पहले हार्मोनल चेंज के मामले बढ़ रहे हैं। शारीरिक बदलाव के लिए औसत उम्र 13 से 14 साल मानी जाती है, अब 8 से 11-12 साल में वजन बढ़ने जैसी समस्या आ रही है। कम उम्र में मुश्किल भरे दिनों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो समस्या प्रदुषण और जंक फूड के अत्यधिक सेवन से बढ़ रही है। शरीर में हार्मोनल परिवर्तन, किसी प्रकार की सिस्ट और ट्यूमर जैसे कारण सामने आ रहे हैं। इनके लिए मुख्य कारण निम्न हैं- लड़कियों में हार्मोनल परिवर्तन से पीरियड जल्दी आते हैं। आनुवंशिक समस्या इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। तनाव से भी हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। आयरन तथा विटामिन-डी जैसे पोषण तत्वों की कमी भी हार्मोनल परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदुषण के सम्पर्क में रहने पर भी ये समस्या होती है। शरीर में कही भी सिस्ट या ट्यूमर होने पर भी ये सम्भव है। अगर 8 साल से 12 साल की उम्र के बीच किसी बालिका के शरीर में तेजी से परिवर्तन हो तो मुश्...
X-किरण स्पेक्ट्रम
X-किरण
- X-किरण की खोज जर्मन भौतिक वैज्ञानिक वेलमन कोन्राड रोन्जन ने 1895 में कैथोड़ किरणों के गुणधर्मों के अध्ययन के दौरान की।
- ये किरणें वास्तव में अल्प तरंगदैर्ध्यों की विद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं जिनकी परास 10 Å से 0.5 Å तक होती हैं।
- उच्च तरंगदैर्ध्य वाली X-किरणें, मृदु X-किरणें तथा निम्न तरंगदैर्ध्य वाली X-किरणें, कठोर X-किरणें कहलाती हैं।
X-किरणों के गुणधर्म
- चूंकि X-किरणें विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा विचलित नहीं होती हैं, इसलिए इनमें कोई आवेशित कण नहीं होता है।
- X-किरणें अल्प तरंगदैर्ध्य की विद्युतचुम्बकीय विकिरण होती है।
- X-किरणें प्रकाश की भांति फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती हैं, परन्तु इनका प्रभाव प्रकाश की तुलना में अधिक तीव्र होता है।
- X-किरणें प्रकाश के वेग से सीधी रेखा में गति करती हैं।
- ये किरणें कई धातुओं पर प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती हैं।
- X-किरणें जिस गैस में से गुजरती हैं, उसे आयनित कर देती हैं।
- X-किरणों की भेदन क्षमता अधिक होती है तथा ये किसी भी ठोस में से गुजर सकती हैं।
- ये प्रकाश विद्युत प्रभाव भी दर्शाती हैं।
- X-किरणें प्रकाश की भांति व्यतिकरण, विवर्तन तथा ध्रुवण भी दर्शाती हैं।
X-किरण स्पेक्ट्रम
- X-किरणों की तरंगदैर्ध्य ब्रेग नियम द्वारा ज्ञात की जा सकती है।
- यदि हम किसी स्रोत से प्राप्त ग्.किरण की तरंगदैर्ध्य तथा उसकी तीव्रता के मध्य ग्राफ खीचे तो वह ग्राफ नीचे दर्शा गए चित्रानुसार होगा।
- ग्राफ में Rh (रोडियम) को लक्ष्य लेकर विभिन्न विभवान्तर पर तीन तरंगें दर्शाई
- स्पेक्ट्रम से स्पष्ट है कि प्रत्येक अवस्था में स्पेक्ट्रम सतत् है तथा एक विशेष तरंगदैर्ध्य पर यह प्राप्त होता है।
- यदि आरोपित विभवान्तर 23 kV से कम हो, तो केवल सतत् उत्सर्जन स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है।
- परन्तु उच्च विभवान्तर पर सतत् स्पेक्ट्रम पर रेखिल स्पेक्ट्रम भी अध्यारोपित होता है।
- एक रेखिल स्पेक्ट्रम लक्ष्य नाभिक की जानकारी प्रदान करता है।
- इस प्रकार ग्.किरण नली से प्राप्त स्पेक्ट्रम के दो भाग होते हैं :
सतत् स्पेक्ट्रम
- इस स्पेक्ट्रम में दृश्य स्पेक्ट्रम की भांति एक विशेष न्यूनतम तरंगदैर्ध्य से लेकर उच्च तरंगदैर्ध्य के सभी मान होते हैं। इसलिए यह श्वेत स्पेक्ट्रम भी कहलाता है।
अभिलाक्षणिक या रेखिल स्पेक्ट्रम
- इसमें एक विशेष तरंगदैर्ध्य का स्पेक्ट्रम, सतत् स्पेक्ट्रम पर अध्यारोपित होता है।
- इस स्पेक्ट्रम की स्पेक्ट्रमी रेखाएं साधारणतया छोटे समूहों में होती है।
- ये रेखाएं लक्ष्य नाभिक के अभिलाक्षणिक को दर्शाती हैं।
सतत् X-किरण स्पेक्ट्रम
- सतत् X-किरण स्पेक्ट्रम की खोज डूना तथा हन्ट ने की।
- यदि टंगस्टन को लक्ष्य नाभिक लेकर तथा X- किरण नली पर विभिन्न तरंगदैर्ध्यों के साथ उत्पन्न X-किरणों की तीव्रताओं के मध्य वक्र खीचे तो वह चित्रानुसार प्राप्त होगा।
- यह वक्र सतत् X-किरण स्पेक्ट्रम प्रदान करता है।
- प्रत्येक विभवान्तर के लिए तीव्रता—तरंगदैर्ध्य (I-λ) वक्र एक विशेष तरंदैर्ध्य पर प्रारम्भ होता है, अधिकतम मान की ओर तेजी से बढ़ता है, तत्पश्चात् धीरे—धीरे घटता है।
- तरंगदैर्ध्य का वह मान जिस पर तीव्रता अधिकतम होती है, त्वरक वोल्टता (Va) पर निर्भर करती है। त्वरक वोल्टता का मान जितना अधिक होगा, तीव्रता उतनी ही अधिक होगी।
- जैसे—जैसे Va बढ़ता है, अधिकतम तीव्रता या शीर्ष तीव्रता कम तरंगदैर्ध्य की ओर विस्थापित होती है। इस प्रकार X-किरण की भेदन क्षमता, वोल्टता के साथ बढ़ती है।
- प्रत्येक एनोड़ वोल्टता के लिए एक न्यूनतम तरंगदैर्ध्य (λmin) होती है, जिससे नीचे विकिरण का उत्सर्जन नहीं होता है। इसका मान लक्ष्य नाभिक पर निर्भर करता है तथा इस क्रान्तिक मान से ऊपर विकिरण की तीव्रता बढ़ती है।
- X-किरण नली पर विभिन्न विभवान्तर आरोपित करके प्रत्येक तरंगदैर्ध्य के लिए हम सतत् स्पेक्ट्रम प्राप्त कर सकते हैं।
- X-किरण की कुल शक्ति (P) प्रायोगिक तरंग के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है।
- कुल शक्ति आरोपित वोल्टता के वर्ग के समानुपाती होती है।
- P ∝ V2
- कुल शक्ति परमाणु क्रमांक (Z) के समानुपाती होती है।
- P ∝ Z
- ∴ P ∝ ZV2 ⇒ P = kZV2
- यहां k समानुपाती नियतांक है।
- जब X-किरण नली के अनुदिश वोल्टता बढ़ाई जाती है, तो λmin कम मान की ओर विस्थापित होता है।
- λmin ∝ 1/V
- 𝛎max ∝ V
- 𝛎max = kV
सतत् X-किरण स्पेक्ट्रम का उद्गम
डूना तथा हन्ट का नियम
- यदि एक उच्च ऊर्जा का इलेक्ट्रॉन पुंज किसी लक्ष्य नाभिक पर आपतित होता है, तो वह नाभिक के भीतर प्रवेश कर जाता है तथा अपने वास्तविक पथ से विचलित हो जाता है।
- यदि u1 तथा u2 इलेक्ट्रॉन के क्रमशः प्रारम्भिक तथा अन्तिम वेग हों, तो
- X-किरण फोटॉन की ऊर्जा, h𝛎 = ½ mu12 - ½ mu22
- यदि इलेक्ट्रॉन लक्ष्य के भीतर जाकर रूक जाता है, अर्थात् u2 = 0 हो, तो 𝛎 = 𝛎max
- h𝛎 = mu12
- eV = h𝛎max
- eV = ch / λmin (∵ c = 𝛎λ)
- λmin = ch / eV
- यही डूना तथा हन्ट का नियम है।
- λmin = (12400 / V) Å
- अधिकतर इलेक्ट्रॉन जो X-किरण फोटॉन उत्पन्न करते हैं, इस प्रक्रिया में अपनी ऊर्जा का केवल एक भाग प्रदान करते हैं।
- इसलिए अधिकतर X-विकिरण λmin की तुलना में अधिक तरंगदैर्ध्य की होती हैं।
- इस प्रकार सतत् स्पेक्ट्रम प्रकाश विद्युत प्रभाव के उत्क्रम का परिणामी है।
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