महाराणा प्रताप ट्रेल सज्जनगढ़ उदयपुर में इको ट्रेल 30 नवम्बर को राजस्थान वन विभाग उदयपुर डिविजन तथा WWF-India उदयपुर डिविजन के सानिध्य में महाराणा प्रताप ट्रेल सज्जनगढ़ उदयपुर में इको ट्रेल की गई, जिसमें WWF-India के स्टेट काॅर्डिनेटर श्रीमान अरूण सोनी तथा वन विभाग कीे ओर से डाॅ. सतीश कुमार शर्मा, सेवानिवृत्त अधिकारी मौजूद थे। मुझे भी इस इको ट्रेल में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ, जो गोरीला व्यू पाॅइंट से बड़ी-लेक व्यू पाॅइंट तक की गई इसमें मुझे विज्ञान की एक नई शाखा के बारे में पता चला, जिसे टट्टी विज्ञान कहा जाता है। सुनने में आपको थोड़ा अजीब लगेगा, मुझे भी सुनकर हैरानी हुई, परन्तु वास्तव में एक ऐसा भी विज्ञान है, जिसके बारे में डाॅ. सतीश शर्मा ने बड़े ही विस्तार पूर्वक बताया कि किस प्रकार वनों में जानवरों की टट्टी देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि यहां कौनसा जानवर आया था। जानवरों की टट्टी कितनी पुरानी है, वह गीली है या सूखी है। इसी के आधार पर उस विशेष जंगल में कौन-कौनसे जानवर विचरण करते हैं, उसके बारे में वन विज्ञान के कर्मचारी पता लगा लेते हैं। जानवरों की टट्टी का विश्लेषण करके यह पता लगा...
अपभ्रष्टता
- वे सभी ऊर्जा स्तर जिनके आइगन मान समान हों, परन्तु आइगन फलन भिन्न हों, अपभ्रष्ट ऊर्जा स्तर कहलाते हैं।
- ऊर्जा स्तरों का यह गुण अपभ्रष्टता कहलाता है।
- अपभ्रष्टता का मुख्य कारण ऊर्जा स्तरों के आइगन फलनों का भिन्न—भिन्न होना है।
- समान ऊर्जाओं वाले ऊर्जा स्तर के आइगन फलन के भिन्न—भिन्न होने का मुख्य कारण उनकी क्वांटम संख्याओं का भिन्न—भिन्न होना है।
- ये भिन्न—भिन्न क्वांटम संख्याएं समान ऊर्जाओं वाले अलग—अलग तरंग फलनों को दर्शाती हैं।
- समान ऊर्जा वाले भिन्न—भिन्न तरंग फलनों या आइगन फलनों की संख्या उसकी अपभ्रष्टता की कोटि कहलाती है।
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