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हार्मोनल परिवर्तन के कारण कम उम्र में लड़कियों में हो रहा शारीरिक परिवर्तन

हार्मोनल परिवर्तन के कारण कम उम्र में लड़कियों में हो रहा शारीरिक परिवर्तन प्रदुषण और जंक फूड घटा रहा मुश्किल भरे दिन की उम्र लड़कियों में समय से पहले हार्मोनल चेंज के मामले बढ़ रहे हैं। शारीरिक बदलाव के लिए औसत उम्र 13 से 14 साल मानी जाती है, अब 8 से 11-12 साल में वजन बढ़ने जैसी समस्या आ रही है। कम उम्र में मुश्किल भरे दिनों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो समस्या प्रदुषण और जंक फूड के अत्यधिक सेवन से बढ़ रही है। शरीर में हार्मोनल परिवर्तन, किसी प्रकार की सिस्ट और ट्यूमर जैसे कारण सामने आ रहे हैं। इनके लिए मुख्य कारण निम्न हैं- लड़कियों में हार्मोनल परिवर्तन से पीरियड जल्दी आते हैं। आनुवंशिक समस्या इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। तनाव से भी हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। आयरन तथा विटामिन-डी जैसे पोषण तत्वों की कमी भी हार्मोनल परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदुषण के सम्पर्क में रहने पर भी ये समस्या होती है। शरीर में कही भी सिस्ट या ट्यूमर होने पर भी ये सम्भव है। अगर 8 साल से 12 साल की उम्र के बीच किसी बालिका के शरीर में तेजी से परिवर्तन हो तो मुश...

डी-ब्रोगली परिकल्पना | H-4 | de Broglie hypothesis in Hindi

डी-ब्रोगली परिकल्पना

  • डी-ब्रोगली के अनुसार एक गतिमान कण से सदैव एक तरंग सम्बद्ध होती है। यह तरंग डी-ब्रोगली तरंग या पदार्थ तरंग कहलाती है।
  • अतः एक पदार्थ तरंग की प्रकृति कण प्रकृति के साथ-साथ तरंग प्रकृति भी होती है, अर्थात द्वैत प्रकृति होती है।
  • विकिरण के क्वांटम सिद्धान्त से, फोटॉन की ऊर्जा, E = h𝝂,   जहां 𝝂 = आपतित फोटॉन की आवृति
  • आइन्सटीन के आपेक्षिकता के सिद्धान्त से E = √(m02c4 + p2c2)
  • यदि  m0 = 0  हो,  तो  E = pc,  p = संवेग तथा c = प्रकाश का वेग
  • अब  E = h𝝂  तथा  E = pc
  • ∴     h𝝂 = pc     ⇒    p = h𝝂/c
  • ∵      c = 𝝂λ      ⇒     λ = c/𝝂
  • ∴      p = h/λ     ⇒     λ = h/p     यह डी-ब्रोगली तरंग दैर्ध्य कहलाती है।
  • यह तरंगदैर्ध्य सदैव एक फोटॉन से सम्बद्ध होती है।
  • चूंकि संवेग कण प्रकृति का अभिलाक्षणिक है तथा तरंग-दैर्ध्य तरंग प्रकृति का अभिलाक्षणिक है।
  • अतः एक गतिमान कण से सदैव एक तरंग सम्बद्ध होती है।

निष्कर्ष

  • कण की तरंगदैर्ध्य, कण के आवेश या प्रकृति पर निर्भर नहीं करती है।
  • विद्युत-चुम्बकीय तरंगें केवल आवेशित कण द्वारा उत्पन्न होती हैं। अतः पदार्थ तरंग की प्रकृति विद्युत-चुम्बकीय नहीं है।
  • ∵     λ = h/p    तथा   p = mv      ⇒     λ ∝ 1/v    तथा   λ ∝ 1/m,     v = कण का वेग 
  • कण का वेग जितना अधिक होगा, उसकी तरंगदैर्ध्य उतनी कम होगी।
  • कण जितना भारी होगा, उसकी तरंगदैर्ध्य उतनी ही कम होगी।
  • यदि  v  का मान  c  के तुलनीय हो, तो  m = m0/√(1 − v²/c²) 
                

विभिन्न कणों के लिए डी-ब्रोगली तरंग दैर्ध्य

  • यदि एक इलेक्ट्रॉन  V  विभवान्तर से त्वरित होता है, तो  
  • इसके द्वारा ग्रहण की गई ऊर्जा  E = eV
  • यदि  m0  इलेक्ट्रॉन का विराम द्रव्यमान, तथा  v  इलेक्ट्रॉन का वेग हो, तो 
  • इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा,  E = ½ m0v²    ⇒   v = √(2E/m0)
  • यदि वेग के साथ द्रव्यमान में आपेक्षकीय परिवर्तन नगण्य हो, तो  m ≈ m0 
  • ∴     v = √(2E/m)
  • परन्तु  E = eV
  • ∴     v = √(2eV/m)
  • ∵     डी-ब्रोगली तरंग दैर्ध्य  λ = h/mv  तथा  v = √(2eV/m)
  • ∴     λ = h/√2meV      ⇒      λ = 12.27/√V  Å
  • किसी भी आवेशित कण के लिए    λ = h/√2mqV
  • किसी भी द्रव्यमान वाले कण के लिए    λ = h/√2mE            जहां  E  गतिज ऊर्जा है।
  • यदि कोई पदार्थ कण  T  परम् ताप पर ऊष्मीय साम्यावस्था में हो, तो 
  • E = 3/2 kT      जहां  k  बोल्ट्जमान नियतांक तथा  T  परम् ताप है।
  • ∵     λ = h/√2mE     ∴   λ = h/√3mkT

  डी-ब्रोगली परिकल्पना से बोहर परिकल्पना

  • बोहर अभिधारणा के अनुसार एक इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर केवल उन्हीं कक्षाओं में चक्कर लगा सकता है, जिसमें कोणीय संवेग का मान  h/2π  का पूर्ण गुणज होता है।
  • ∴     mvr = nh/2π
  • चूंकि प्रत्येक गतिमान कण से सदैव एक तरंग सम्बद्ध होती है, इसलिए  2πr = nλ
  • यहां  2πr  स्थाई कक्षा की परिधि है।
  • डी-ब्रोगली परिकल्पना से,   λ = h/mv
  • अब 2πr = nλ  तथा  λ = h/mv
  • ∴     2πr = nh/mv ⇒ mvr = nh/2π
  • जो बोहर परिकल्पना है।

To know more about this lecture please visit on https://youtu.be/epAlDO7-O3M

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