भारतीय रसायन के पिता आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे की जयंती पर व्याख्यान का आयोजन विज्ञान भारती उदयपुर इकाई एवं बीएन कॉलेज ऑफ फार्मेसी, बीएन विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम सम्पन्न उदयपुर, 2 अगस्त। भारतीय रसायन के पिता आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे की जयंती के अवसर पर विज्ञान भारती उदयपुर इकाई (चित्तौड़ प्रांत) एवं बीएन कॉलेज ऑफ फार्मेसी, बीएन विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य आचार्य पी.सी. रे के वैज्ञानिक योगदान एवं उनके देशभक्ति से ओतप्रोत जीवन पर प्रकाश डालना था। ज्ञातव्य है कि भारत की पहली फार्मा कंपनी आचार्य रे ने ही बंगाल केमिकल एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, कोलकाता में 1901 में प्रारंभ की थी। कार्यक्रम में विज्ञान भारती के उद्देश्य एवं गतिविधियों की जानकारी डॉ. अमित गुप्ता द्वारा दी गई। आचार्य पी.सी. रे के जीवन और कार्यों पर मुख्य व्याख्यान डॉ. लोकेश अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि कैसे आचार्य रे ने विज्ञान को समाज की सेवा का माध्यम बनाया और रसायन विज्ञान में भारत को आत्मनिर्भर बनान...
सेबिन सूत्र
अनुरणन काल
- किसी ध्वनि स्रोत के बन्द कर देने के पश्चात् भी कुछ समय तक हमें ध्वनि की अनुभूति होती है, इसे अनुरणन कहते हैं।
- ध्वनि स्रोत के बन्द करने के पश्चात् जितने समय तक हमें ध्वनि की अनुभूति होती है, वह समय अनुरणन काल कहलाता है।
मान्यताएं
- हाॅल के सभी भागों में ऊर्जा का वितरण समान है।
- हाॅल में ध्वनि तरंग का कोई व्यतिकरण नहीं होता है।
- अवशोषण गुणांक का मान ध्वनि की तीव्रता पर निर्भर नहीं करता है।
- वायु में ऊर्जा की कोई हानि नहीं होती है।
सूत्र की स्थापना
- सभी दिशाओं में हॉल के भीतर औसत ऊर्जा घनत्व = u
- प्रारम्भिक आयतन dV द्वारा ग्रहण ऊर्जा = u dV
- अब हम समतल दीवार के पृष्ठ क्षेत्रफल के ds भाग पर विचार करते हैं।
- माना ds के केन्द्र से r दूरी पर ds के अभिलम्ब θ दिशा में प्रारम्भिक आयतन dV है।
- प्रारम्भिक आयतन dV पर पृष्ठ क्षेत्रफल ds द्वारा बनाया गया घन कोण dω = ds cos θ / r2
- छायांकित प्रारम्भिक भाग का क्षेत्रफल = dr × r dθ
- यदि सम्पूर्ण चित्र को अभिलम्ब के परितः 2π कोण से घुमा दिया जाए तो इस भाग द्वारा तय किया गया प्रारम्भिक आयतन
= 2πr2 sin θ dr dθ
- dV आयतन में ध्वनि ऊर्जा
- इस ऊर्जा का ds क्षेत्रफल पर आपतित भाग
- θ के सभी मानों के लिए दोनों अर्द्धगोलों के मध्य स्थित कोश के कारण ds द्वारा ग्रहण की गई ऊर्जा
- ds क्षेत्रफल द्वारा प्रति सेकण्ड ग्रहण की गई ऊर्जा
- यहां v = वायु में ध्वनि का वेग।
- यदि ds का अवशोषण गुणांक a हो, तो
- ds क्षेत्रफल द्वारा प्रति सेकण्ड ग्रहण की गई ऊर्जा
- हॉल द्वारा प्रति सेकण्ड अवशोषित कुल ऊर्जा
- आवरण के भीतर स्थित सभी सतहों का कुल अवशोषण, A = Σ a ds
- हॉल द्वारा प्रति सेकण्ड अवशोषित कुल ऊर्जा = uvA/4
- चूंकि V आवरण का आयतन है, इसलिए
- किसी समय कमरे में कुल ध्वनि ऊर्जा = uV
- इस ऊर्जा वृद्धि की दर
- ऊर्जा अवशोषण की दर
- स्रोत द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा की दर = E
ध्वनि में वृद्धि
- जब स्रोत से ध्वनि प्रारम्भ होती है, तो t = 0, u = 0
- जब t = ∞ हो, तो u = umax ⇒ umax = 4E / vA
- u = umax [1 - exp (-βt)]
ध्वनि का क्षय
- जब ध्वनि स्रोत को बन्द कर दिया जाता है, तो t = 0, u = umax, E = 0
अनुरणन काल (T)
- u = umax [1 - exp (-βt)]
- यदि t = T, u = 10-6 umax
- परन्तु v = 340 m/s
- उपरोक्त सूत्र सेबिन सूत्र कहलाता है।
Comments
Post a Comment