अब नई शिक्षा नीति के तहत मातृ भाषा में होगी प्राथमिक स्तर तक की पढ़ाई, औरत को लुगाई पढेंगे बच्चे शेखावटी के प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थी अब औरत को लुगाई, आग को बासते और इंसान को मिनख पढ़ते नजर आएंगे। नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक कक्षाओं में मातृ भाषा में शिक्षा देने की नीति लागू होने से ऐसा होगा। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान ने प्रदेश में संभागवार भाषाई सर्वेक्षण करवाकर स्थानीय भाषा के शब्द कोष तैयार करवाए हैं। शेखावटी के शब्द कोष में शोर को रोला, आदत को बाण, इधर को अठीने, इंतजार को उडीकणों, इकट्ठा को भैळो एवं सांवठो, अध्ययन को पढ़णो, आवास को ठिकाणो, इतना को अतरो, इनकार को नटणों, इसके लिए को इकेपाई एवं अधिक बोलने को लपर-लपर कहा गया है। नई शिक्षा नीति के लिए बच्चों-शिक्षकों की भाषा से शब्दकोष तैयार किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत हुए सर्वेक्षण में प्राथमिक कक्षा के बच्चों की भाषा एवं पढ़ाने वाले शिक्षक की भाषा की जानकारी ली गई थी। इसमें बच्चों के नाम के साथ उनके घर की भाषा, शिक्षक की भाषा, स्कूल का माध्यम, भाषा को समझने एवं बोलने की विद्यार्थियों की क्षम...
एबे की ज्या शर्त
चिन्ह परिपाटी
अक्षीय या अनुदैर्ध्य दूरियों के लिए
- वे सभी दूरियां जो प्रकाशीय अक्ष या इसके समान्तर मापी जाती हैं, अक्षीय या अनुदैर्ध्य दूरियां होती हैं।
- वे सभी दूरियां जो प्रकाशीय केन्द्र O से आपतित प्रकाश किरण की दिशा में मापी जाती हैं, धनात्मक ली जाती हैं तथा वे सभी दूरियां जो आपतित प्रकाश किरण की विपरीत दिशा में मापी जाती हैं, ऋणात्मक ली जाती हैं।
अनुप्रस्थ दूरियों के लिए
- प्रकाशीय अक्ष के लम्बवत् सभी दूरियां अनुप्रस्थ दूरियां कहलाती हैं।
- वे अनुप्रस्थ दूरियां जो प्रकाशीय अक्ष के ऊपर की ओर मापी जाती हैं, धनात्मक तथा जो प्रकाशीय अक्ष के नीचे की ओर मापी जाती हैं, ऋणात्मक ली जाती हैं।
कोण के लिए
- वे कोण जो प्रकाशीय अक्ष के साथ वामावर्त दिशा (anticlockwise direction) में मापे जाते हैं, धनात्मक तथा जो प्रकाशीय अक्ष के साथ दक्षिणावर्त दिशा (clockwise direction) में मापे जाते हैं, ऋणात्मक लिए जाते हैं।
- ∠ θ1 ऋणात्मक है तथा ∠θ2 धनात्मक है।
नोट
- सभी अनुदैर्ध्य दूरियां प्रकाशीय केन्द्र से मापी जाती हैं, तथा सभी अनुप्रस्थ दूरियां प्रकाशीय अक्ष से मापी जाती हैं।
- चिन्ह परिपाटी के उपयोग से
- h1 तथा v धनात्मक हैं।
- h2 तथा u ऋणात्मक हैं।
- θ1 तथा i धनात्मक हैं एवं θ2 ऋणात्मक है।
- △CNM तथा △CN՛M՛ से
एबे की ज्या शर्त
- △ANC में ज्या सूत्र से
- △AN՛C में ज्या सूत्र से
- यही एबे की ज्या शर्त है।
- यह सम्बन्ध θ1 तथा θ2 के सभी मानों के लिए मान्य है।
- इस अवस्था में अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु N का सतह XY से अपवर्तन के पश्चात् प्रतिबिम्ब N՛ बनता है।
- कोई सतह जो यह गुण दर्शाती है, अविपथी सतह कहलाती है। इस प्रकार की सतह का प्रयोग सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक लेन्स में किया जाता है।
- यदि अपवर्तक सतह का द्वारक अत्यन्त छोटा हो, तो θ1 तथा θ2 के मान अत्यन्त कम होंगे।
- ∴ sin θ1 ≈ tan θ1 तथा sin θ2 ≈ tan θ2
- µ1h1 tan θ1 = µ2h2 tan θ2
- यह लेग्रांज समीकरण है।
- साथ ही θ1 तथा θ2 के मान अत्यन्त अल्प होने पर tan θ1 ≈ θ1 तथा tan θ2 ≈ θ2
- µ1h1 θ1 = µ2h2 θ2
- यह हेल्महोल्ट्ज लेग्रांज समीकरण है।
- To know about this lecture in more detail please visit on https://youtu.be/AJncHfURlss
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