सार्वजनिक उत्पीड़न पर ही एससी-एसटी एक्ट।
इलाहाबाइ हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के साथ घर के अन्दर किसी अन्य व्यक्ति की गैरमौजूदगी में जातिसूचक शब्दों से दुर्व्यवहार हो तो वह एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून के तहत अपराध नहीं होगा। एक मामले में जस्टिस शमीम अहमद ने कहा कि किसी व्यक्ति पर एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1) (एस) के तहत अपराध के लिए मुकदमा तभी चलाया जा सकता है जब उसने कमजोर वर्ग के व्यक्ति का सार्वजनिक तौर पर अपमान और उत्पीड़न किया हो।
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