भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह महाराणा प्रताप स्टेशन रोड, सेवाश्रम सर्कल, उदयपुर। भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय उदयपुर द्वारा वर्ष 2018 से 2024 तक की स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षा में उत्तीर्ण एवं विद्यावाचस्पति (Ph.D.) उपाधिधारियों के लिए दीक्षान्त समारोह 27 मार्च 2025 गुरूवार को प्रातः 10:30 बजे आयोजित करने का निश्चित हुआ है। दीक्षान्त समारोह में 2020 से 2025 तक की विद्यावाचस्पति की उपाधियों तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षाओं में वर्ष 2024 तक प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किए जायेंगे। अतः जो उपाधिधारी उक्त समारोह में उपाधि प्राप्त करने के इच्छुक हों, वे समारोह में उपस्थित होने की लिखित सूचना के साथ स्नातक एवं स्नातकोत्तर प्रथम वरीयता प्राप्त छात्रों हेतु, पंजीकरण शुल्क ₹500 व उपाधि शुल्क ₹5000 (कुल ₹5500) एवं विद्यावाचस्पति (Ph.D.), शोधार्थी पंजीकरण शुल्क ₹500 व उपाधि शुल्क ₹5000 (कुल ₹5500) नकद अथवा डिमाण्ड ड्राफ्ट भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय, उदयपुर के नाम बनाकर कुलसचिव, भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय, उदयपुर को दिनांक 17.03.2025 तक ...
कबीर दास जी के दोहे कबीरदास जी आज हमारे बीच में नहीं हैं परन्तु उनके दोहों में कई गूढ़ बाते हैं जो हमें जिन्दगी की सच्चाई से रूबरू कराती हैं। इस लेख में कबीरदास जी के उन्हीं दोहों को दिया गया है। कबीर नौबत आपणी, दिन दस लेहु बजाइ। ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ॥ जो तूं ब्राह्मण, ब्राह्मणी का जाया। आन बाट काहे नहीं आया॥ पाथर पूजे हरी मिले, तो मै पूजू पहाड़। घर की चक्की कोई न पूजे, जाको पीस खाए संसार॥ माटी का एक नाग बनाके, पुजे लोग लुगाया। जिंदा नाग जब घर मे निकले, ले लाठी धमकाया॥ लाडू लावन लापसी, पूजा चढ़े अपार। पूजी पुजारी ले गया, मूरत के मुह छार॥ उजला कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाहिं। एकै हरि के नाव बिन, बाँधे जमपुरि जाहिं॥ ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये। औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए॥ ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये। औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए॥ कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी। एक दिन तू भी ...